लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ
हैलो सखी ।
कैसी हो।मै अच्छी हूं।ये बात 28 फरवरी 2022 की है ।जिस दिन हमारे घर मे भयंकर कोहराम हुआ था ।जिसका विवरण नीचे दिया गया है।
आज तो मन ही नही लग रहा कही भी।आज सुबह सुबह ही बाप-बेटे मे बहस बाजी हो गयी।मेरे पतिदेव आजकल कुछ ज्यादा ही चिड़चिड़े हो गये है। पतिदेव काफी समय से बीमार चल रहे है।जरा जरा सी बात पर तुनक जाते है बच्चे बेचारे भीगी बिल्ली बने सब सहन करते रहते हैं पर आज तो हद ही हो गयी सुबह की एक्सरसाइज को लेकर पिता पुत्र मे बहस बाजी है गयी।मेरे दो बेटे है छोटे वाला थोडा नटखट है।आज उसका मूड़ नही था एक्सरसाइज़ करने का तो वो बार बार परेशान कर रहा था
बस इसी बात पर गुस्सा आ गया छोटे वाले के साथ बड़े को भी लपेट लिया। दोनों मे कहा सुनी हो गयी ।
पता नही क्यूं मै हमेशा से देखती आयी हूं यही बात कि दो पीढ़ियों मे वैचारिक मतभेद ज़रुर होता है।मेरे पापा और भाई मे भी वैचारिक मतभेद था।पर वो पापा के सामने कभी बोले नही।
पर आजकल की पीढ़ी तो बाबा तौबा तौबा।ना जाने कहां से भुसा भर कर लाते है दिमाग में।कोरा किताबी ज्ञान ही रह गया है।
बड़े लोग ये मानकर राजी नही है कि उनका जमाना अब चला गया है।अब हमे घर पर एकाधिकार नही रखना चाहिए और छोटी पीढ़ी को ये अकल नही है कि बड़े लोगों ने दुनिया देखी है। दोनों पीढ़ी दोस्त बनकर रहे तो कितना अच्छा हो। सखी मैनें देखा है बाप कभी बेटे को कभी बड़ा नही बनने देता और सास कभी बहू को पूरी तरह घर की कमान नही देती।
देखो वो सुनहरे दिन कब आते है। जब बड़े ये सोचें गे कि अब छोटे जीवन को अपने ढंग से जीये।
अच्छा सखी चलती हूं। अलविदा।
Khan
29-Nov-2022 05:37 PM
Nice 👍💐
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Peehu saini
22-Nov-2022 01:06 AM
Anupam
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Manzar Ansari
21-Nov-2022 08:13 PM
शानदार लिखा
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